जामुन का पेड़ Summary | Rajani

जामुन का पेड़ - श्री कृष्ण चंद्र जी



नमस्ते,

जामुन का पेड़ की कहानीकार श्री कृष्ण चंद्र जी हैं जिनकी भाषा साहित्य कहानी के पात्र वेदनाओ  को बड़ी अच्छी तरह से सजीव प्रस्तुत करती हैं।
इस कहानी की मुख्य पात्र है जो एक जामुन के पेड़ के नीचे दबकर अपना दम तोड़ देते हैं।

एक रात जोर से तूफान आता है ,और एक जामुन का पेड़ नीचे जमीन में गिर जाता है, मगर दुर्भाग्य से उस पेड़ के नीचे एक आदमी भी दबा होता है ,यह कहानी यहीं से शुरू होती है ,उस पेड़ को हटाने की जो कोशिश होती है वह बड़ा ही हृदय विहीन वाक्यांश है।

वह आदमी जो पल-पल घुट घुट कर तकलीफ इस तकलीफों से सांसे ले रहा था लोग उसकी तकलीफ दर्द को ना समझ कर उस पेड़ को हटाने के लिए चपरासी कलर सुपरिटेंडेंट सभी आते हैं फाइल पर फाइल चलती रहती है।

वह आदमी जो जिंदा था तड़प तड़प सांसे ले रहा था।
 उसकी फिक्र ना हो कर उस रसदार जामुन की पेड़ की चिंता हो रही थी ,लोगों का भीड़ जमा हो गया था ,पता चला कि वह शायर है, लोगों को यह जानकर खुशी हुई क्या शायर है ,उसे अकादमी का मेंबर बना दिया जाएगा मगर किसी को दया नहीं आई कि उसे बचाया जाए।

उस जगह पर पहरा बैठा दिया गया।

किसी को दया आई तो खाना खिला दिया मगर उस पेड़ को हटाने की प्रक्रिया 3 दिन तक यूं ही चलता रहा ,कभी कृषि विभाग कभी व्यापार विभाग फाइल दौड़ती रही ,वह मरता आदमी बार-बार कर कराहते हुए ,अपने को जिंदा बचाने की गुहार लगाता रहा ,कोई उसे काटकर बाहर निकालने की बातें करता कोई प्लास्टिक सर्जरी की बातें करता कोई मेडिकल डिपार्टमेंट की बातें करता।

मरते हुए को मिठाई खिलाना किताब साहित्य अकादमी में केंद्रीय शाखा मेंबर चुन लिए गए हैंं ।

वह आदमी जो बार-बार कहता ,मुझे जिंदा रखो ।लेकिन लोगों को सभी सरकारी विभागों से मिलकर पेड़ हटाते हटाते अंत में उसका मरना पिटूनिया सरकार की मित्रता का बलिदान बन गया। फाइल दौड़ती रही और वह जीने की आस में दबा रहा पेड़ काटने का हुक्म फाइल में आते-आते उस आदमी की चौथे दिन शाम में जीवन की फाइल हमेशा के लिए बंद हो गई।

यह कहानी मिलाजुला के सरकारी विभागों की उदासीनता और लोगों की हृदय विहिनता का परिचय देता है जो एक मरते हुए आदमीकी महा तकलीफों से भी ऊपर होता है। यह बहुत ही वेदनाओं से भरा हुआ कहानी है।

उम्मीद करती हूं कि मैं जामुन का पेड़ का सारांश अच्छे से आप लोगों को समझा पाई हूं।

धन्यवाद ! 

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